*मुक्त-मुक्तक : 873 – कच्ची मिट्टी Posted on July 27, 2017 /Under मुक्तक /With 0 Comments गलता बारिश में कच्ची मिट्टी वाला ढेला हूँ ॥ नेस्तोनाबूद शह्र हूँ मैं उजड़ा मेला हूँ ॥ देख आँखों से अपनी आके मेरी हालत को , तेरे जाने के बाद किस क़दर अकेला हूँ ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 126