■ जूता – चित्रकाव्य Posted on January 29, 2018 /Under अन्य /With 0 Comments पण्डितों से , ठाकुरों , बनियों , अछूतों से ; चाहे मत करना फ़रिश्तों , प्रेतों , भूतों से ; हाँ मगर जितनी करो तुम टोप से अपने , उतनी ही करना मोहब्बत अपने जूतों से ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 7,620