चित्र काव्य : वो Posted on February 19, 2018 /Under अन्य /With 0 Comments बहुत ही ख़ास बहुत ही अज़ीज़ था मेरा , वो उस जगह पे कहीं हाय खो गया इक दिन ॥ चुरा के मुझ से मेरा दिल क़रार की नींदें , बग़ैर मुझ को बताये ही सो गया इक दिन ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 453