■ मुक्तक : 877 – गूँगी तनहाई Posted on February 25, 2018 /Under मुक्तक /With 0 Comments गूँगी तनहाई में चुपचाप जब मैं रहता हूँ !! रौ में जज़्बात की तिनके से तेज़ बहता हूँ !! लिखने लगता हूँ मैं तब शोक-गीत रो-रोकर , या कोई शोख़ ग़ज़ल गुनगुना के कहता हूँ !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,464