■ मुक्तक : 878 – यह को वह Posted on February 25, 2018 /Under मुक्तक /With 0 Comments तजकर कभी , कभी सब कुछ गह लिखा गया !! पीकर कभी , कभी प्यासा रह लिखा गया !! लिखने का जादू सर चढ़ बोला तो बोले सब , ये क्या कि मुझसे ‘ यह ‘ को भी ‘ वह ‘ लिखा गया !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,572