■ मुक्तक : 884 – प्रेम Posted on March 30, 2018 /Under मुक्तक /With 0 Comments पूर्णतः करते स्वयं को जब समर्पित !! प्रेम तब बैरी से कर पाते हैं अर्जित !! जान लोगे यदि गुलाबों से मिलोगे , पुष्प सब काँटों में क्यों रहते सुरक्षित ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,064