बड़ाकवि अटल Posted on August 16, 2018 /Under अन्य /With 0 Comments वो सियासी पूस की रातों का सूरज ढल गया ।। इक बड़ाकवि अटल नामक इस जगत से टल गया ।। राजनीतिक पंक में खिलता रहा जो खिलखिला , हाय ! वो सुंदर मनोहर स्वच्छ भोर कमल गया ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,377