नववर्ष Posted on December 31, 2018 /Under अन्य /With 0 Comments मरने पे या किसी के जन्मने पे नचेंगे ।। जानूँ न क्यों वलेक लोग बाग जगेंगे ।। तुम भी तमाशा देखने को रात न सोना ।। मरने पे मेरे थोड़ा भी मायूस न होना ।। 31 दिसंबर मैं चीख़ दे ख़बर रहा ।। 01 जनवरी को जन्मा मैं नववर्ष मर रहा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 286