मुक्तक Posted on March 3, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments बुलाके पास जो आवारा क़िस्म कुत्ते को , खिलाके बिस्कुट और सिर्फ़ एक हड्डे को , सुनाने बैठ गया अपनी अनसुनी ग़ज़लें , अदब से वो भी खड़ा हो गया था सुनने को ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 129