■ मुक्तक : 899 – ग़ुस्सा Posted on May 16, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments मेरे ग़ुस्से को फूँक – फूँक मत हवा दे तू ।। मैं भड़क जाऊँ उससे पहले ही बुझा दे तू ।। मैं बरस उट्ठा तो बहा के दुनिया रख दूँगा , अब्र को देख मेरे आस्माँ बना दे तू ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,465