■ मुक्तक : 902 – चकोरा Posted on July 12, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments कब मेरी जानिब वो शर्माकर बढ़ेंगे यार ? जो मैं सुनना चाहूँ वो कब तक कहेंगे यार ? ज्यों चकोरा चाँद को देखे है सारी रात , इक नज़र भर भी मुझे वो कब तकेंगे यार ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,333