■ मुक्तक : 918 – गुलगुला Posted on September 9, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments तीखा मौसम मालपुआ , गुलगुला हुआ है ।। धरती गीली श्याम गगन अब धुला हुआ है ।। हम इसके आनन्द में रम भूल ये गए कब , बरखा बंद हुई पर छाता खुला हुआ है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,130