■ मुक्तक : 922 – नच रहा हूँ Posted on September 27, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments तुम मानो या न मानो यह कह मैं सच रहा हूँ ।। बारिश में भीगने से हरगिज़ न बच रहा हूँ ।। दरअस्ल मैं किसी को नीचे दरख़्त के रुक , चोरी से नचते तक दिल ही दिल में नच रहा हूँ ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,369