मुक्तक : 928 – अंदाज़ Posted on October 20, 2019 /Under मुक्तक /With 0 Comments कुछ मुफ़्लिस अंदाज़ अमीरों के रखते ।। प्यादा होते ; ठाठ वज़ीरों के रखते ।। ख़ुद ; ख़ुद से गुम ख़ाली-ख़ाली ग़ैरों के , क्यों सब मा’लूमात ज़ख़ीरों के रखते ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 270