मुक्तक : 954 – मैकदा Posted on May 13, 2020 /Under मुक्तक /With 2 Comments तन से बाहर दिल से अंदर आ पहुँचते ।। बेतरह तक़्लीफ़ में भी गा पहुँचते ।। तब दवा करता था ग़म की मैकदा वो , हम न जाते-जाते भी बस जा पहुँचते ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 420
बहुत खूब सर जी💐💐👌
धन्यवाद । सुनील शर्मा जी ।