■ मुक्तक : 973 – याद Posted on June 9, 2020 /Under मुक्तक /With 0 Comments दुनिया की हर एक ख़ुशी , दुनिया भर का ग़म हो जाना ।। हँसते-हँसते मौसम का फिर , रोता आलम हो जाना ।। ऐसा ही होता है मेरे , साथ क़सम से बाज़ दफ़ा , याद तुम्हारी आना और बस , आँखों का नम हो जाना ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,760