■ मुक्तक : 985 – बातें Posted on July 1, 2020 /Under मुक्तक /With 0 Comments कट चुके हाथों से बातें , हो रहीं हैं , सच यही है ।। थक गए पावों से बातें , हो रहीं हैं , सच यही है ।। काटकर जबसे जुबाँ रख , दी गई है , ताक पर बस , तब से ही आँखों से बातें , हो रहीं हैं , सच यही है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,788