पुर्ज़ा-पुर्ज़ा हो ज़मीं पर आज भी बिखरा हूँ मैं ।। तब का बिगड़ा अब तलक थोड़ा नहीं सुधरा हूँ मैं ।। मुझको धक्का देके लुढ़काया गया है इस जगह , अपनी मर्ज़ी से बुलंदी से नहीं उतरा हूँ मैं ।।...Read more
औरों को लू-लपट मुझे तो बस नसीम था ।। लगता मुझे खजूर वो भले ही नीम था ।। आदी अगर था मैं नशे का तो मेरे लिए , गाँजा-चरस था वो शराब था अफ़ीम था ।। लगता था शक्ल से...Read more
दर्द क्या बेरोज़गारों का वो समझेगा अरे – जो विरासत के ख़ज़ाने पर मगन लेटा रहे ; और वो भी जिसको रोज़ी मिल गई आराम से ; तेरी बेकारी का किस्सा सुनके क्यों रोवे भला ? ठीक है हलकी सी...Read more
हर तरफ़ ये देखकर मैं हो रहा हूँ होज़ ; लड़के सेठानी से करते इश्क़ का आग़ाज़ , मर रहीं बूढ़े धनी पर लड़कियाँ हर रोज़ , मालोज़र ही क्या मोहब्बत का है अस्ली राज़ ? वो है हीरे की...Read more
इंसान को बदलना , मुश्किल से भी है मुश्किल ।। इक बाज़ से मुझे तुम , तो कर रही हो हारिल ।। आकर तुम्हारी बातों , में मैं बदल रहा हूँ , हाथी हूँ बंदरों सा , लेकिन उछल रहा...Read more