■ मुक्तक : 1010 – अपलक Posted on December 15, 2020 /Under मुक्तक /With 0 Comments देखो कि देखता हूँ मैं तुमको किस तरह से ? क्यों तुम न मुझको देखा करते हो इस तरह से ? सुधबुध को भूल अपनी अपलक निहारता है , कोई चकोर चंदा को ठीक जिस तरह से ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,635