■ मुक्तक : 1012 – दम Posted on February 18, 2021 /Under मुक्तक /With 6 Comments जिनके क़द हों बौने जिनमें पत्ते तक बचे हों कम ; रखते हैं दरख़्त वे भी साये बाँटने का दम ।। और मालदारों से जो मुफ़्त कुछ मँगाइए , तब ही ये कहेंगे ” हाथ तंग है गदा हैं हम ” !! ( दरख़्त = वृक्ष , साये = छाँव , गदा = भिखारी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 7,819
No
धन्यवाद ।
Vese to kahani achi hi he
धन्यवाद ।
sanjayjatav702@gmail.com
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