मुक्तक : 1020 – यारियाॅं Posted on March 23, 2021 /Under मुक्तक /With 0 Comments कुत्ते से अजनबी को तक चुप रहा न जाए ।। मालिक की भी सुने ना जब भौंकने पे आए ।। चोरों से पहरेदारों की यारियों को समझो , ऑंखों से यूॅं ही कोई अंजन चुरा न पाए ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,200