मुक्तक : 1101- वक़्त
जिस तरह भी बन पड़ा पर दिल पे रखकर , फ़िक्र का एक-एक पर्वत ढो दिया है ।। कट […]
जिस तरह भी बन पड़ा पर दिल पे रखकर , फ़िक्र का एक-एक पर्वत ढो दिया है ।। कट […]
मेरा जज़्बा मेरी माॅं के लिए सबसे जुदा है ।। है मेरे वास्ते क्या वो ; मेरे दिल पे […]