इश्क़ से मोहब्बत

जिसने ये मुझसे क़सम खाकर कहा ,
वो मेरा कमबख़्त जिगरी यार है ।।
इस क़दर कि मेरी ख़ातिर अपनी जाॅं ,
वारने रहता खड़ा तैयार है ।।
सोचता हूॅं क्यों कहा उसने बुरा ?
पिन चुभोई है कि भोंका है छुरा ?
“इश्क़ से मुझको मोहब्बत टुक नहीं ,
मुझको ख़ालिस हुस्न से ही प्यार है !!”
-डॉ. हीरालाल प्रजापति