पर्सनल डायरी
भले ही वो कितना भी अपना हो पर मैं , सुनाता नहीं अपने दुखड़े किसी को , न पूछो […]
भले ही वो कितना भी अपना हो पर मैं , सुनाता नहीं अपने दुखड़े किसी को , न पूछो […]
सच कह रहा हूॅं चाहे , मानो या तुम न मानो , पैरों पे मेरे गिरकर , रो- रो […]
वो मुझे दुत्कार कर अक्सर भगाते थे , दुम हिलाता मैं वहीं फिर भाग आता था ।। वह हमेशा […]
मुझे खौलने की ही आदत पड़ी थी , हिमालय सा मैं एकदम जम गया हूॅं ।। उसे देखने को […]
न था मुझमें कुछ ऐसा जिस पर किसी का , मुझे ऐसा लगता है दिल आ भी सकता ।। […]
बेशक़ मैं यह काम करूॅं रोज़ाना लेकिन , यह मेरा व्यवसाय नहीं , उद्योग नहीं है ।। मैं कोशिश […]
होके मछली ज़मीं पे दौड़ूॅं मैं , बनके हाथी मैं उछलूॅं मेंढक सा ।। बाज से पंख रख भी […]
जिस तरह भी बन पड़ा पर दिल पे रखकर , फ़िक्र का एक-एक पर्वत ढो दिया है ।। कट […]
मेरा जज़्बा मेरी माॅं के लिए सबसे जुदा है ।। है मेरे वास्ते क्या वो ; मेरे दिल पे […]
जाने कब से , जाने किसको , जाने क्यों मैं ढूॅंढता हूॅं ? हर कली के लब तबस्सुम को […]