क्या करूँं अब हो गई जो मुझसे भारी भूल ? रख सका अपने न दिल में मैं उसे आबाद ।। अब करूँ भी तो नहीं आती है उसकी याद , इस क़दर उसको भुलाने में रहा मशगूल ।। क्या हुआ...Read more
अंधा हूँ छू पूँछ को रस्सी कह देता हूँ ।। पग टटोल गज के जो उनको बोलूँ खंभा ।। रबड़ी यदि बिन चक्खे लस्सी कह देता हूँ , क्यों तुझको होता है यह सब देख अचंभा ? बिन दाबे चिकना-गीला...Read more
कहते हैं कि मिटने वाले की गर कभी जाए निकल – बददुआ तो करके वो रख दे सभी कुछ हाय फ़ना । सचमुच में तो क्या ख्व़ाबों में तलक अपना तू महल , बस क़ब्र पे मेरी बराए मेह्रबानी न...Read more
तुम सब लोग मुझे समझो पूरा पागल इक , तो इसमें कुछ भी न तुम्हारी यार ख़ता है । है तुमको पूरा हक़ मुझको रोज़ करो दिक़ , नाखूनों से कौन कुआँ खोदा करता है ? मुझको बेइज्ज़त करने या...Read more
आज वो मुझसे रूठ चले किस तरह बुलाऊँ ? आज मनाने से भी वो वापस आ न सकेंगे । प्यास वो उनको आज नहीं फिर क्या मैं बुझाऊँ ? पेट भरा कुछ भी जो परोसूँ खा न सकेंगे ।। सोचूँ...Read more
मियाँ बताए बग़ैर चुपके गया कहाँ पर ? निगाह बीवी की उसको रो-रो तलाशती है । जहाँ भी कोई बता रहा है कि है वहाँ पर ; वहीं ज़ुबाँ से नहीं वो दिल से पुकारती है ।। यक़ीन हालाँकि करना...Read more