ग़म
उससे बिछड़े यों कई साल हुए जाते थे , उससे दूरी का मगर सख़्त अभी भी ग़म था ।। […]
उससे बिछड़े यों कई साल हुए जाते थे , उससे दूरी का मगर सख़्त अभी भी ग़म था ।। […]
हसीनों की मोहब्बत ने तुम्हें पूरा मिटाया है ।। हैं हम जो कुछ , उन्हीं की बेवफाई ने बनाया […]
अब तेरी नज़रों में मैं कुछ भी नहीं , तू निगाहों को मेरी नाचीज़ है ।। ना मैं तेरी […]
अजनबी क्या , ग़ैर क्या , दुश्मन तलक जाकर , गर मैं चाहूॅं तो यक़ीं कर , जुड़ भी […]
भले ही वो कितना भी अपना हो पर मैं , सुनाता नहीं अपने दुखड़े किसी को , न पूछो […]
सच कह रहा हूॅं चाहे , मानो या तुम न मानो , पैरों पे मेरे गिरकर , रो- रो […]
वो मुझे दुत्कार कर अक्सर भगाते थे , दुम हिलाता मैं वहीं फिर भाग आता था ।। वह हमेशा […]
मुझे खौलने की ही आदत पड़ी थी , हिमालय सा मैं एकदम जम गया हूॅं ।। उसे देखने को […]
न था मुझमें कुछ ऐसा जिस पर किसी का , मुझे ऐसा लगता है दिल आ भी सकता ।। […]
बेशक़ मैं यह काम करूॅं रोज़ाना लेकिन , यह मेरा व्यवसाय नहीं , उद्योग नहीं है ।। मैं कोशिश […]